आनन्दधारा आध्यात्मिक मंच एवं वार्षिक पत्रिका

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्द:खभाग्भवेत्


sabhi ko dosi mat mano, budhhiman bano

अनेकों के दोष के कारण सभी को दोषी मत मानो! इस जगत में हर चीज मिश्रित रुप में है,  शक्कर और रेत के मिश्रण की तरह! चींटी की भाँति बुद्धिमान बनो, जो केवल शक्कर के कणों को चुन लेती है और रेत-कणों को स्पर्श किये बिना छोड़ देती है –  महावतार बाबाजी (योगी-कथामृत)

महावतार बाबा


Daivi jagat ki satta ehlok mein bhi chalti hai

दैवी जगत की सत्ता इहलोक में भी चलती है, परन्तु इहलोक का स्वरुप ही भ्रमात्मक होने के कारण उसमें सत्य के दैवी तत्व का अभाव है – महावतार बाबाजी (योगी कथामृत)