अनेकों के दोष के कारण सभी को दोषी मत मानो! इस जगत में हर चीज मिश्रित रुप में है, शक्कर और रेत के मिश्रण की तरह! चींटी की भाँति बुद्धिमान बनो, जो केवल शक्कर के कणों को चुन लेती है और रेत-कणों को स्पर्श किये बिना छोड़ देती है – महावतार बाबाजी (योगी-कथामृत)