आनन्दधारा आध्यात्मिक मंच एवं वार्षिक पत्रिका

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्द:खभाग्भवेत्


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अखण्ड ज्योति पत्रिका
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Aatma gyan shatak (1-3)
श्री बगलामुखी कवचम्
तुम्हारी रचना तुम ही जानो, मुझे लाभ ही लाभ
Sadhana of Self – Realization
पृथ्वी पर सौराष्ट्र क्षेत्र में, भेजो तुरंत आदेश
सत्य युग के द्वितीय चरण की, सुनो दारुण व्यथा कथा
जीवन का है चरम लक्ष्य, स्व से साक्षात्कार
एक राज्य का नृपति देखो, बन्दी बन खाये बासी कौर
भोग मिले योग मिले, मिले इस जग में नवजीवन
मूलाधार में ही मैंने देख लिया है, वैराग्य का अनाहत फाटक
वेद हैं माता ऋषिगणों की, असुरों की अवेद
आत्म स्वरुप पर माता करतीं, गगन का निर्माण
ऊँ ह्रीं ऊँ
सुधा समुद्र के मध्य, मणिमय मंडप है स्थापित
सप्त चक्र को जानो, मेरुदंड़ के भीतर जो स्थित
अंधकार ही सत्य है, जाना है जिसने यह तथ्य गुढ़
माँ ने की विश्व रचना जब , गुरु को गईं भूल
धन्य पीताम्बरा धन्य माँ बगले, दे दो तुन मुझे अपनी भक्ति
आत्म प्रचार का यह कैसा झोंका, भूला माँ का यशोगान
पक्षी हो या हो मानव, अपने अन्तस् को पहचानो
जीवन क्या है समझूँ इसको, झरने सा झर जाऊँ
माँ बगले ! तुम हो संध्या , हो सूर्य शक्ति सावित्री
माँ पीताम्बरा नित्य तुम्ही हो, तुम सदैव अनित्य
माता वर्षों से कर रहा मैं तेरा इंतजार
तेरी अलौकिक साधना ने किया, चौदह भुवनों को तैयार
अष्टांग योग निखरे अंतस में