साधु के लिये भिक्षा एक प्रकार की तपस्या है! जो साधु नारायण की दया मानकर भिक्षा ग्रहण करता है और जो दाता नारायण ज्ञान से भिक्षा देता है, उन दोनों का कल्याण होता है! साधु भगवान के ऊपर निर्भर करना सीखता है ! वही निर्भरता लाने के लिये तो ठाकुर हम लोगों को भिक्षा करने भेजते थे – लाटु महाराज