कोई विषय सत्य है या असत्य – यह जानने के लिए उसकी एकमात्र परीक्षा यही है, वह तुम्हें शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक रुप से दुर्बल कर रहा है या नहीं, यदि कर रहा है तो उसका विषवत् त्याग कर दो, उसमें प्राण नहीं, वह कभी भी सत्य नहीं हो सकता! सत्य बलप्रद है, सत्य ही पवित्रता प्रदान करने वाला है, सत्य ही ज्ञानस्वरुप है – स्वामी विवेकानन्द
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